Tuesday, March 22, 2011

Holi 2011 Blog

When I started writing I never thought I am going to write so much... But jitna likhe hai kaphi hai mere liye... :-)


होली के चर्चे हुए,
रंगों पर खर्चे हुए,
खाने को मिला अछा पकवान,
कुछ लोगों ने पिया भांग,

होली का त्योहार भी निराला है,
बुरा न मानो कह कर दिलों को मिलाता है,
अपनों को और करीब लाता है,
दुश्मनों को भी गले लगता है,

हर रंग एक हो जाता है,
हर रंग एक ही बात कहता है,
छोड़ दो यह लड़ाई झगडा,
बंद करो जात पात के नाम पर दंगा,

जब रंग एक हो सकते हैं,
तब क्या लोग एक होकर नहीं रह सकते?

Tuesday, March 8, 2011

एक फूल की कहानी...




यह कहानी है एक नाजुक से गुलाब के फूल की जिसने एक पोधे पर जन्म लिया और उस पोधे को मिलने वाले पानी और खाद से वह बड़ी हुई. कुछ दिनों के बाद मैंने देखा की वह सूरज की किरणों से और ज्यादा खूबसूरत लग रही है. उसकी खूबसूरती का एहसास भवरों को भी हो गया था; वह सब उसके आस पास मंडराने लग गए. गुलाब भी इस बात से खुश थी और अपनी खूबसूरती पर इतरा रही थी. धीरे धीरे उसकी पंखुड़ी मुरझाने लगी; दिन गुजरे और गुलाब की खूबसूरती कम होने लग गयी; भवरों का आना भी बंद हो गया. और एक दिन मैंने उस गुलाब को नीचे ज़मीन पर गिरा हुआ पाया. देखा लोग उसके ऊपर से उसे रोंध्ते हुए जा रहे हैं.

उसका जीवन तो फिर भी अच्छा था कम से कम वह अपनों के पास तो थी. उसकी सहेली जिसको उसके चाहने वाले ने पसंद किया और पसंद करते ही उसको डाल से अलग कर दिया. अलग करते वक़्त उस चाहने वाले को कुछ कांटे भी चुभे पर वह नहीं रुका; उसने गुलाब को पोधे से अलग कर ही लिया और उसे अपने घर ले गया. कुछ दिन उस गुलाब को संभल कर रखा; फिर धेरे धेरे गुलाब मुरझा गई; उसकी मीठी खुशबू भी ख़तम हो गयी; उसके बाद उस आदमी ने गुलाब को कचरे में फेक दिया. मैंने सोचा पहले वाले गुलाब का अंत तो अच्छा था; कम से कम अपनों के पास थी वह; दुसरे वाले के अंत में तो कोई नहीं था वह भी नहीं जिसने इतनी महनत करके उसे अपनों से अलग किया था.

हम लड़किया भी गुलाब की तरह नाजुक और कोमल होती हैं. जब तक खूबसूरत रहती हैं भावारे की तरह लड़के आस पास मंडराते हैं और जब खूबसूरती ढलने लगती हैं तो बहुत कम लोग होते हैं जिनको हम सच में अपना कह पाते हैं. वैसे एक ऐसा चाहने वाला मिल जाता है जो अपनी पसंद की लड़की को पाने के लिए कांटो से गुजरता है; शुरू में लड़की का बड़ा ख्याल रखता है; फिर धीरे धीरे चीज़ें बदल जाती हैं.

लड़की जो कभी शक्ति का रूप मानी जाती थी आज बस एक फूल जैसी नाजुक बन कर रह गयी हैं. और ज्यादातर अपनी परेशानीयों के लिए वह खुद जिमेदार हैं. एक औरत ही एक लड़की को जन्म नहीं देना चाहती; एक लड़की खुद अपनी शादी में अपने घर वालों को दहेज़ के लिए मना नहीं करती; और भी बहुत कुछ है जिसके लिए वह खुद जिमेदार हैं.... अब यह लड़कियों पर है की उन्हें फूल जैसा नाजुक और खूबसूरत बना है या सच में लड़की होने पर गर्व महसूस करना है.