Wednesday, December 21, 2011
Sayamvar
1st Guy: Not me
2nd Guy: No please not me
3rd Guy: Photo mein to badi achi dikh rahi thi. Asal mein to bahut darwani hai...
4th Guy: Bhaago bhoot aaya
5th Guy: Kya dekh kar mujhe select kar liya. Koi bachao mujhe
6th Guy: Yeh phool to ache hain par iss ladki mein mujhe interest nahi
7th Guy: Bache ki jaan longi kya
8th Guy: Ladki matlab musibat
9th Guy: Iske bahut kharche honge main isse afford nahi kar sakta
10th Guy: Subah kis ki sakal dekh kar nikala tha. Koi aur musibat hoti to bhi chalta par ladki no way....
P.S. Your reactions?
Saturday, April 30, 2011
Education
Education is the best thing one has and I hope with this blog once again you will realize the importance of being educated.
It was a bright sunny day with not much crowd in the bus. And then a lady boarded the bus; this lady could not see the brightness of the day but could definitely feel the heat of the day. This lady who boarded the bus and occupied the front seat was blind. But she doesn't realize that the lady sitting next to her cant speak; her co-passenger was a mute.
After sometime the bus stopped at a red light and the blind lady asks her co-passenger what will be the next stop. The mute lady takes the hand of blind lady and with her finger she writes the alphabet of the next stop; the blind lady connects the alphabets and she understands her next stop.
The blind lady in curiosity asks “Why did you not say the word itself”. The mute lady again takes her palm and write “I cant speak; I am mute.”
Then there is a silence for sometime then the mute lady again takes the palm of blind lady and asks her “Which stop you will get down?”
The blind lady tells her stop and the mute lady replies in her own way that “Even I will get down at the same stop.”
The ladies get down at the stop but in this small duration of the journey they both become good friends.
The idea conceived in bus where I keep observing various kinds of people.
And believe me education is not just for people who have all their senses working properly but also for those who have some physical disability. Education is the best tool for communication.
A small email, letter or instant message can end up all fights and bring people close. I hope every Indian gets the basic level of education.
Tuesday, March 22, 2011
Holi 2011 Blog
रंगों पर खर्चे हुए,
खाने को मिला अछा पकवान,
कुछ लोगों ने पिया भांग,
होली का त्योहार भी निराला है,
बुरा न मानो कह कर दिलों को मिलाता है,
अपनों को और करीब लाता है,
दुश्मनों को भी गले लगता है,
हर रंग एक हो जाता है,
हर रंग एक ही बात कहता है,
छोड़ दो यह लड़ाई झगडा,
बंद करो जात पात के नाम पर दंगा,
जब रंग एक हो सकते हैं,
तब क्या लोग एक होकर नहीं रह सकते?
Tuesday, March 8, 2011
एक फूल की कहानी...
यह कहानी है एक नाजुक से गुलाब के फूल की जिसने एक पोधे पर जन्म लिया और उस पोधे को मिलने वाले पानी और खाद से वह बड़ी हुई. कुछ दिनों के बाद मैंने देखा की वह सूरज की किरणों से और ज्यादा खूबसूरत लग रही है. उसकी खूबसूरती का एहसास भवरों को भी हो गया था; वह सब उसके आस पास मंडराने लग गए. गुलाब भी इस बात से खुश थी और अपनी खूबसूरती पर इतरा रही थी. धीरे धीरे उसकी पंखुड़ी मुरझाने लगी; दिन गुजरे और गुलाब की खूबसूरती कम होने लग गयी; भवरों का आना भी बंद हो गया. और एक दिन मैंने उस गुलाब को नीचे ज़मीन पर गिरा हुआ पाया. देखा लोग उसके ऊपर से उसे रोंध्ते हुए जा रहे हैं.
उसका जीवन तो फिर भी अच्छा था कम से कम वह अपनों के पास तो थी. उसकी सहेली जिसको उसके चाहने वाले ने पसंद किया और पसंद करते ही उसको डाल से अलग कर दिया. अलग करते वक़्त उस चाहने वाले को कुछ कांटे भी चुभे पर वह नहीं रुका; उसने गुलाब को पोधे से अलग कर ही लिया और उसे अपने घर ले गया. कुछ दिन उस गुलाब को संभल कर रखा; फिर धेरे धेरे गुलाब मुरझा गई; उसकी मीठी खुशबू भी ख़तम हो गयी; उसके बाद उस आदमी ने गुलाब को कचरे में फेक दिया. मैंने सोचा पहले वाले गुलाब का अंत तो अच्छा था; कम से कम अपनों के पास थी वह; दुसरे वाले के अंत में तो कोई नहीं था वह भी नहीं जिसने इतनी महनत करके उसे अपनों से अलग किया था.
हम लड़किया भी गुलाब की तरह नाजुक और कोमल होती हैं. जब तक खूबसूरत रहती हैं भावारे की तरह लड़के आस पास मंडराते हैं और जब खूबसूरती ढलने लगती हैं तो बहुत कम लोग होते हैं जिनको हम सच में अपना कह पाते हैं. वैसे एक ऐसा चाहने वाला मिल जाता है जो अपनी पसंद की लड़की को पाने के लिए कांटो से गुजरता है; शुरू में लड़की का बड़ा ख्याल रखता है; फिर धीरे धीरे चीज़ें बदल जाती हैं.
लड़की जो कभी शक्ति का रूप मानी जाती थी आज बस एक फूल जैसी नाजुक बन कर रह गयी हैं. और ज्यादातर अपनी परेशानीयों के लिए वह खुद जिमेदार हैं. एक औरत ही एक लड़की को जन्म नहीं देना चाहती; एक लड़की खुद अपनी शादी में अपने घर वालों को दहेज़ के लिए मना नहीं करती; और भी बहुत कुछ है जिसके लिए वह खुद जिमेदार हैं.... अब यह लड़कियों पर है की उन्हें फूल जैसा नाजुक और खूबसूरत बना है या सच में लड़की होने पर गर्व महसूस करना है.