Tuesday, March 22, 2011

Holi 2011 Blog

When I started writing I never thought I am going to write so much... But jitna likhe hai kaphi hai mere liye... :-)


होली के चर्चे हुए,
रंगों पर खर्चे हुए,
खाने को मिला अछा पकवान,
कुछ लोगों ने पिया भांग,

होली का त्योहार भी निराला है,
बुरा न मानो कह कर दिलों को मिलाता है,
अपनों को और करीब लाता है,
दुश्मनों को भी गले लगता है,

हर रंग एक हो जाता है,
हर रंग एक ही बात कहता है,
छोड़ दो यह लड़ाई झगडा,
बंद करो जात पात के नाम पर दंगा,

जब रंग एक हो सकते हैं,
तब क्या लोग एक होकर नहीं रह सकते?

2 comments:

Unknown said...

nice poem...liked it....

Manoranjan Manu Shrivastav said...
This comment has been removed by a blog administrator.